हरियाणा: कर्ज पर कांग्रेस ने सरकार से मांगा श्वेत पत्र, हरे हुए मिर्चपुर कांड के जख्म
हरियाणा पर लगातार बढ़ते जा रहे कर्ज पर सोमवार को सदन में जमकर बहस हुई। कांग्रेसी विधायकों ने बजट पर चर्चा करते हुए जहां इसी मुद्दे पर सरकार को निशाने पर लिया, वहीं कांग्रेसियों ने हरियाणा की गठबंधन सरकार से इस पर श्वेत पत्र भी मांगा। सीएम मनोहर लाल ने कांग्रेसी विधायकों के इस वार पर मोर्चा संभाला और दो टूक कहा- कर्जा कैसे और कब-कब बढ़ा सबकुछ बताया जाएगा। सीएम ने कहा कि ये कर्ज पूर्व सरकारों की ही देन है।
कांग्रेस के विधायक रघुबीर कादियान बजट पर अपने विचार रख रहे थे। उन्होंने कहा कि लगातार कर्ज बढ़ रहा है। उनके अनुसार हरियाणा सरकार पर कर्ज का आलम यह है कि प्रदेश में पैदा होने वाला हर बच्चा करीब 80 हजार का कर्जदार होता है। छह साल में सरकार ने कर्ज लेने के रिकॉर्ड तोड़ दिए।
कांग्रेसी विधायक भूपेंद्र सिंह हुड्डा, गीता भुक्कल, राव दान सिंह, आफताब अहमद, शमशेर सिंह गोगी, बीबी बत्रा, जगबीर मलिक समेत अन्य कांग्रेसी विधायक इसी मुद्दे पर सरकार को घेरते नजर आए। कांग्रेसी विधायकों ने कहा कि सरकार श्वेत पत्र जारी कर ये बताए कि छह साल में जो कर्ज हरियाणा सरकार ने लिया है, उसका कितना लाभ आमजन को मिला। आमजन की सुविधाओं पर कितना खर्च किया गया और कर्ज के ब्याज पर कितना खर्च किया गया।
कांग्रेस के विधायक रघुबीर कादियान बजट पर अपने विचार रख रहे थे। उन्होंने कहा कि लगातार कर्ज बढ़ रहा है। उनके अनुसार हरियाणा सरकार पर कर्ज का आलम यह है कि प्रदेश में पैदा होने वाला हर बच्चा करीब 80 हजार का कर्जदार होता है। छह साल में सरकार ने कर्ज लेने के रिकॉर्ड तोड़ दिए।
कांग्रेसी विधायक भूपेंद्र सिंह हुड्डा, गीता भुक्कल, राव दान सिंह, आफताब अहमद, शमशेर सिंह गोगी, बीबी बत्रा, जगबीर मलिक समेत अन्य कांग्रेसी विधायक इसी मुद्दे पर सरकार को घेरते नजर आए। कांग्रेसी विधायकों ने कहा कि सरकार श्वेत पत्र जारी कर ये बताए कि छह साल में जो कर्ज हरियाणा सरकार ने लिया है, उसका कितना लाभ आमजन को मिला। आमजन की सुविधाओं पर कितना खर्च किया गया और कर्ज के ब्याज पर कितना खर्च किया गया।
बिजली कंपनियों को घाटे में छोड़कर गए, हमने उबारा
मोर्चा संभालने केबाद सीएम मनोहर लाल ने सदन में बताया कि पूर्व सरकार कांग्रेस अपने दस साल के कार्यकाल में बिजली कंपनियों को घाटे में छोड़कर गई थी। जब अक्टूबर 2014 के बाद हम आए तो प्रदेश का कर्ज 70931 करोड़ था। इसके अलावा बिजली कंपनियां 27 हजार करोड़ घाटे में थी। इनका ब्याज मिलाकर करीब 35 हजार करोड़ बना।
हरियाणा सरकार ने इन बिजली कंपनियों को घाटे से उबारने का संकल्प लेते हुए इनका घाटा खुद पर ले लिया। ताकि ये बिजली कंपनियां मजबूत बने और जनता को अच्छी बिजली देने में सक्षम हों। सीएम ने कहा कि बिजली कंपनियों का घाटा खुद पर लेने के बाद ही प्रदेश सरकार पर ये कर्ज वर्ष 2015-16 में 101709 करोड़ हो गया। जोकि अब वर्ष 2019-20 में 176832 करोड़ है। अगले वित्त वर्ष के लिए ये कर्ज 198700 करोड़ हो सकता है। सीएम ने कहा कि सरकार कर्ज प्रदेश के विकास के लिए ले रही है और खास बात यह कि ये कर्ज निर्धारित सीमा के दायरे में ही रहते हुए लिया जा रहा है।
रोहतक में पार्किंग घोटाले की होगी जांच
विधायक बीबी बत्रा ने सोमवार को फिर रोहतक में मल्टीपर्पज पार्किंग व शॉपिंग कांपलेक्स का मुद्दा उठाया। विगत दिनों ने सीएम ने इस पर घोटाले की आशंका से इंकार कर दिया था। मगर सोमवार को सदन में बीबी बत्रा हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बताया कि जिस कंपनी को ये ठेका और जमीन लीज पर देने का काम किया गया है। उसमें से एक कंपनी दिवालिया घोषित है। जबकि हाईकोर्ट भी इस मामले में टेक्निकल बिड रद कर चुका है। जिस पर कंपनी सुप्रीम कोर्ट गई थी और वहां भी उनकी अपील को खारिज कर दिया गया था।
हरियाणा सरकार ने इन बिजली कंपनियों को घाटे से उबारने का संकल्प लेते हुए इनका घाटा खुद पर ले लिया। ताकि ये बिजली कंपनियां मजबूत बने और जनता को अच्छी बिजली देने में सक्षम हों। सीएम ने कहा कि बिजली कंपनियों का घाटा खुद पर लेने के बाद ही प्रदेश सरकार पर ये कर्ज वर्ष 2015-16 में 101709 करोड़ हो गया। जोकि अब वर्ष 2019-20 में 176832 करोड़ है। अगले वित्त वर्ष के लिए ये कर्ज 198700 करोड़ हो सकता है। सीएम ने कहा कि सरकार कर्ज प्रदेश के विकास के लिए ले रही है और खास बात यह कि ये कर्ज निर्धारित सीमा के दायरे में ही रहते हुए लिया जा रहा है।
रोहतक में पार्किंग घोटाले की होगी जांच
विधायक बीबी बत्रा ने सोमवार को फिर रोहतक में मल्टीपर्पज पार्किंग व शॉपिंग कांपलेक्स का मुद्दा उठाया। विगत दिनों ने सीएम ने इस पर घोटाले की आशंका से इंकार कर दिया था। मगर सोमवार को सदन में बीबी बत्रा हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बताया कि जिस कंपनी को ये ठेका और जमीन लीज पर देने का काम किया गया है। उसमें से एक कंपनी दिवालिया घोषित है। जबकि हाईकोर्ट भी इस मामले में टेक्निकल बिड रद कर चुका है। जिस पर कंपनी सुप्रीम कोर्ट गई थी और वहां भी उनकी अपील को खारिज कर दिया गया था।